हज़रते जरीर रदिअल्लाहु त'आला अन्हु से मरवी है कि नबीय्ये करीम ﷺ एक घर में दाखिल हुये तो घर (लोगों से) भर गया।
हज़रते सैय्यिदुना जरीर वहाँ गये तो (अंदर जगह ना होने की वजह से) घर के बाहर बैठ गये।
नबीय्ये करीम ﷺ ने उन्हें देखा तो अपना एक कपड़ा लपेट कर उन की तरफ फेंका और फरमाया कि इस पर बैठ जाओ।
हज़रते सैय्यिदुना जरीर ने कपड़ा पकड़ा और अपने चेहरे पर लगा कर उसे बोसा दिया।
(انظر: الانوار فی شمائل النبی المختار اردو ترجمہ بہ نام شمائل بغوی، ص225، 226، ر245)
सहाबा की तादाद लाखों में होने के बावजूद भी ऐसा नहीं हुआ कि नबीय्ये करीम ﷺ की नज़रे इनायत से कोई महरूम रहा हो।
आप ﷺ हर एक की तरफ मुतवज्जेह होते थे और इसी तरह आप ﷺ अपनी उम्मत की भी खबर रखते हैं।
अ़ब्दे मुस्तफा
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