इमाम -ए- आज़म, इमाम अबु हनीफा अलैहिर्रहमा लिखते हैं के :-
انت الذی لولاک ما خلق امرؤ
کلا ولا خلق الوری لو لاکــــــ
यानी आप ﷺ की ज़ात वो मुक़द्दस ज़ात है के अगर आप ﷺ ना होते तो कोई फ़र्दे बशर पैदा न होता बल्कि सिरे से किसी मख्लूक की तखलीक ही ना होती
इसी फ़िक्र के जलवे इमाम -ए- अहले सुन्नत, आलाहज़रत रहिमहुल्लाह के कलाम में भी झलकते है, चुनान्चे आप लिखते है :-
वो जो ना थे तो कुछ ना था
वो जो ना हो तो कुछ ना हो
जान है वो जहान की
जान है तो जहान है
(ماخوذ از مضمون "کلام رضا میں فکر بو حنیفہ کے جلوے" محرر شیخ الحدیث مولانا محمد حنیف حبیبی مصباحی، ملخصاً)
अ़ब्दे मुस्तफ़ा
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