ईमाम -ए- अहले सुन्नत, आला हज़रत रदिअल्लाहु त्आला अन्हु से सवाल किया गया कि क्या ये रिवायत सहीह है कि हुज़ूर गौसे पाक रदिअल्लाहु त्आला अन्हु ने ख्वाब देखा कि इमाम अहमद बिन हम्बल रदिअल्लाहु त्आला अन्हु फरमाते हैं कि मेरा मज़हब ज़यीफ हुआ जाता है लिहाज़ा (ए अब्दुल क़ादिर) तुम मेरे मज़हब मे आ जाओ, मेरे मज़हब मे आने से मेरे मज़हब को तक़वियत हो जायेगी, इसलिये गौसे पाक हनफी से हम्बली हो गये?
आला हज़रत रदिअल्लाहु त्आला अन्हु ने जवाब में फरमाया कि ये रिवायत सहीह नहीं, हुज़ूर गौसे पाक हमेशा से हम्बली थे और बाद को जब मन्सबे इजतिहादे मुतलक हासिल हुआ तो मज़हबे हम्बल को कमज़ोर होता हुआ देखा तो इसके मुताबिक़ फ़तवा दिया कि हुज़ूर मुहियुद्दीन और दीन -ए- मतीन के ये चारों सुतून हैं, लोगों की तरफ से जिस सुतून मे ज़'अफ आता देखा उसकी तक़्वियत फरमायी।
(فتاوی رضویہ، ج26، ص433، رضا فاؤنڈیشن لاہور، س1425ھ)
अ़ब्दे मुस्तफ़ा
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