पबजी

जवानों की महफ़िल में हमेशा कुछ ना कुछ चर्चे में रहता है, अभी एक मोबाइल गेम है "पबजी" जिस के पीछे घंटो बर्बाद किये जा रहे है, 
इस क़दर दीवाने हैं इस गेम के, के घर मे पबजी, बाहर पबजी, दिन में पबजी, रात में पबजी!
खेलते तो हैं ही और जब दोस्तो से मुलाकात करते है तो बस इसी की बाते करते है।

जितनी मेहनत, वक़्त और दिमाग इस खेल में खर्च किया जाता है, अगर उस का आधा भी पढ़ाई में लगाया जाए तो बहुत फायदा होगा,
जितनी मुहब्बत इस खेल से है अगर उतनी मुहब्बत किताबो से की जाए तो जिंदगी सवर जाए। 
कई ऐसे है के पबजी मे बन्दूक में गोली भरने का तरीका, हथियार बदलने का तरीका और फालतू के फर्ज़ी दुश्मनो को मारने का तरीका तो मालूम है लेकिन अफसोस के इस्लाम के बुनियादी अक़ाइद नही मालूम!

पबजी गेम तो आज आया है, इस से पहेले कैंडी क्रश, मारियो, कॉण्ट्रा, लूडो, कैरम बोर्ड वगैरा के मजनू पाए जाते थे और आज भी है यानी हमेशा कोई ना कोई फ़ुज़ूल काम मिल ही जाता है।

नौजवान नस्ल को इन चीज़ों में मुब्तला करने के पीछे कई लोगो का हाथ है, अब किसी लड़के के वालिद को ही देख लीजिए, वो खुद बेनमाज़ी, बेइल्म और गाफिल है तो बेटे को "जुनैद व शिब्ली" कैसे बनायेगा। 
बाप माँ को लगता है के बेटा नौकरी करने लगा है और हज़ारो रुपये कमा रहा है बस तरक़्क़ी काफी हो गयी, अब शादी कर दो ताकि इस के बच्चे भी यही तरक़्क़ी का मंजन खरीदने के लिए निकल पड़े।
ये नही देखा जाता है के बेटे के मोबाइल, उस के कम्प्युटर, उस के फेसबुक प्रोफ़ाइल, उस के व्हाट्सएप्प मैसेंजर पर कौन से फूल खिल रहे है, अब हो सकता है के आप सोचे के माँ बाप तो भोले होते है, उन्हें क्या मालूम बेटा क्या कर रहा है?
हम कहेंगे के माँ बाप भोले नही बल्कि गैरज़िम्मेदार है और बच्चो की तरबियत के इस्लामी तरीके से बेखबर है। 
बच्चो को स्कूल का रास्ता दिखाया, कॉलेजेस के चक्कर कटवाए हत्ता के एक आधार कार्ड के लिए लाइन में घंटो खड़े रहेना सिखाया लेकिन मदरसे में तालीम हासिल करने के नाम पर खामोशी इख़्तेयार की, उलमा की खिदमत में हाज़िर हो कर फ़ैज़ हासिल करने की बात आयी तो कान पर जू तक ना रेंगी।

लापरवाही की ही वजह है के औलाद कभी पबजी मे चिकन डिनर कर रही है तो कभी फेसबुक पर एक हज़ार फ़ॉलोवेर्स जमा करने की खुशी मना रही है, 
अल्लाह त'आला हमारे नौजवानों को इन फ़ुज़ूल चीज़ों से बचाये और आने वाली नस्लो की तरबियत पर काम करने की सलाहियत अता फरमाए।

अब्दे मुस्तफ़ा

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