इमाम अबु यूसुफ रहिमहुल्लाहु त'आला के बेटे का जब इंतेक़ाल हो गया तो आप ने एक शख्स को इसे दफन करने की ज़िम्मेदारी सौंप दी और खुद इमाम अबु हनीफा रहिमहुल्लाहु त'आला की मजलिस में इल्मे दीन सिखने चले गए और कहने लगे के कहीं मेरा आज का सबक़ छूट ना जाये!
(المستطرف فی کل فن مستظرف، جلد1، صفحہ نمبر76)
ज़ुबान से इज़हार करने वाले तो काफ़ी मिलेंगे लेकिन अस्ल में इसे कहेते है इल्मे दीन हासिल करने का जज़्बा!
ऐ काश के हमारे नौजवानों के अंदर भी ऐसा जज़्बा पैदा हो जाये.….,
अब्दे मुस्तफ़ा
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