नबी -ए- करीम ﷺ की बीवियाँ सिर्फ मुसलमान मर्दों की मायें हैं औरतों की नहीं!
एक औरत ने हज़रते आइशा सिद्दीक़ा रदिअल्लाहु त'आला अन्हा से कहा : ए माँ! तो हज़रते आइशा ने फरमाया :
انا ام رجالکم و لست ام نسائكم
"मैं तुम्हारे मर्दों की माँ हूँ, तुम्हारी औरतों की माँ नहीं हूँ।"
(انظر: در منثور للسیوطی، ج5، ص183؛
و تفسیر در منثور اردو، ج5، ص525؛
و السنن الکبری، ج7، ص70، ر12570؛
و طبقات ابن سعد، ج8، ص67؛
و سبل الھدی والرشاد، ج11، ص146؛
و زاد المسیر، ج6، ص182؛
و تفسیر قرطبی، ج14، ص123؛
و فتح القدیر، ج4، ص263)
इमामे अहले सुन्नत, आला हज़रत रहीमहुल्लाह लिखते हैं कि अज़वाज -ए- मुतह्हरात उम्म्हातुल मुमिनीन हैं, उम्महातुल मुमिनात नहीं, उम्मुल मुमिनीन हज़रते आइशा रदिअल्लाहु त'आला अन्हा फरमाती हैं कि मैं तुम्हारे मर्दों की माँ हूँ औरतों की माँ नहीं हूँ।
(انظر: فتاوی رضویہ، ج12، ص176)
अ़ब्दे मुस्तफ़ा
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