सुनने में अच्छा लगता है के इस्लाम अमन का दर्स देता है और एक तरह से देखा जाए तो ये अच्छा भी है लेकिन अब इस का इस्तेमाल मुसलमानो को बुज़दिल बनाने के लिए किया जा रहा है।
एक बुजुर्ग ने क्या खूब कहा था :
"इस्लाम अमन का दर्स उस वक़्त देता है जब बिलाल काबे की छत पर हों"
कहने वाले ने ये लाखो करोड़ो की बात कह दी जिस में समझने वालों के लिए बहुत कुछ है।
जब हमारी हुक़ूमत हो, हमारी रियासत हो, हमारी सलतनत हो तो अमन की बात की जाएगी, ये नही कि हमारे भाइयो का क़त्ले आम हो रहा हो, हमारी बहनो की इज़्ज़त पर हमला किया जा रहा हो, हमारा वुजूद मिटाने की कोशिश की जा रही हो और हम अमन का दर्स देते रहे।
अब्दे मुस्तफ़ा
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