चलो सब वुज़ू करें
एक मरतबा रसूलुल्लाह ﷺ महफिल में तशरीफ फरमा थे कि किसी की रीह (हवा) खारिज हो गयी। बदबू महसूस होने पर आप ﷺ ने फ़रमाया कि जिस शख्स से रीह खारिज हो गयी, उस को चाहिये कि उठ कर वुज़ू कर आये।
शर्म की वजह से वोह शख्स नहीं उठा तो आप ﷺ ने फिर फ़रमाया कि जिस शख्स से रीह खारिज हुई, उसे उठ कर वुज़ू कर लेना चाहिये, अल्लाह त'आला हक़ बयान करने से नहीं शरमाता।
हज़रते अब्बास रदिअल्लाहु त'आला अन्हु ने कहा :
या रसूलुल्लाह! क्या हम सब उठ कर वुज़ू ना कर लें?
एक रिवायत के मुताबिक़ यह वाक़िया हज़रते उमर फारूक़ रदिअल्लाहु त'आला अन्हु की महफिल में पेश आया।
(کتاب الاذکیاء لابن جوزی، ص44)
जब सब ने एक साथ उठ कर वुज़ू किया तो जिस की रीह खारिज हो गयी थी, वोह शर्मिन्दगी से बच गया और वुज़ू भी हो गया, इसे कहते हैं एक तीर से दो शिकार, अगर हम अपनी अक़ल से काम लें तो अपने सामने खड़े कई मस'अलों को बा आसानी हल कर सकते हैं।
अब्दे मुस्तफ़ा
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