यूट्यूब और इस्लामी चैनल्स 


यूट्यूब पर इस्लामी चैनल्स चलाना अच्छा काम है लेकिन इस का यह मतलब हरगिज़ नहीं कि जाइज़ और नाजायज़ की तमीज़ किये बगैर जो चाहे किया जाये।

अक्सर चैनल्स चलाने वाले पैसों के लिये चैनल को मॉनीटाइज़ (Monetize) कर देते हैं यानी गूगल (Google) को इस बात की इजाज़त दे देते हैं कि वो देखे जाने वाले वीडियोज़ के साथ इश्तिहारात (Ads) भी दिखा सके। इस के बाद गूगल गंदे और फहस इश्तिहारात दिखाना शुरू कर देता है। इन्हीं इश्तिहारात के पैसे चैनल चलाने वालों को दिये जाते हैं।


अब अगर गौर किया जाये तो एक कम इल्म रखने वाला मुसलमान भी इसे जाइज़ नहीं कहेगा क्योंकि  यहाँ बिल्कुल वाज़ेह हो गया कि पैसे किस चीज़ के दिये जा रहे हैं।


अगर आप यू ट्यूब का इस्तिमाल कर के लोगों की इस्लाह करना चाहते हैं तो कीजिये लेकिन पहले अपनी इस्लाह कर लीजिये और ये डॉलर का लालच छोढ़कर फक़त दीन के लिये काम करें।


अल्लाह त'आला इस्लामी चैनल्स वालों को इस "नाजाइज़ कमाई" से बचने की तौफीक़ अता फरमाये।


अब्दे मुस्तफ़ा

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