हज़रते सय्यिदुना अली खव्वास रहमतुल्लाही त्आला अलैह फरमाते हैं कि पूरी दुनिया इब्लीस लईन की बेटी है और इससे मुहब्बत करने वाला हर शख्स उसकी बेटी का खाविन्द है लिहाज़ा इब्लीस अपनी बेटी की खातिर दुनियादार शख्स के पास आता रहता है।
(عھود المحمدیۃ، قسم المامورات، ص125 بہ حوالہ الحدیقۃ الندیۃ شرح الطریقۃ المحمدیۃ، ج1، ص136)
कहीं हम भी दुनिया से मुहब्बत करके इब्लीस के दामाद तो नहीं बन बैठे?
आज हमारे पास दुन्यावी इल्म है दीनी नहीं, अँग्रेज़ी बोलना जानते है लेकिन अरबी पढ़ना नहीं, घर में गाड़ियां, सोफ़ा, ए सी, फ्रिज वगैरह है मगर दीनी किताबें नहीं!!!
कहीं हम सही में इब्लीस के दामाद तो नहीं?
अ़ब्दे मुस्तफ़ा
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