हुज़ूर -ए- अकरम, सय्यिद -ए- आलम ﷺ की शहादत की उंगली मुबारक दर्मियानी उंगली से लम्बी थी और दर्मियानी उंगली अपने साथ वाली उंगली से लम्बी थी और वो अपने साथ साथ वाली उंगली से लम्बी थी यानी शहादत की उंगली मुबारक के बाद तीनों उंगलियाँ एक के बाद एक लम्बाई में छोटी थी। अल्लामा दुमेरी रहीमहुल्लाह ने इस पर गुफ्तगु करते हुए एक हदीस भी नक़ल की है और उस हदीस के बारे में इमाम इब्ने हजर हैतमी शाफयी रहीमहुल्लाह लिखते हैं कि, इस हदीस को शैखुल इस्लाम, इब्ने हजर रहीमहुल्लाह ने "असदुल गाबा" में और अल्लामा क़ुर्तुबी रहीमहुल्लाह ने सूरह -ए- बक़रह की तफ़सीर में ज़िक्र किया है।
(فتاوی حدیثہ، ص754، ط مکتبہ اعلی حضرت)
अ़ब्दे मुस्तफ़ा
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