चन्द गैर मुअतबर किताबों में इस तरह के वाक़ियात दर्ज है जिनसे ज़ाहिर होता है कि हुज़ूर गौसे पाक और सरकार गरीब नवाज़ अलैहिमुर्रहमा की मुलाक़ात हुई है लेकिन हक़ीक़त ये है कि दोनो बुज़ुर्गों की मुलाकात साबित नहीं
इसकी तफ्सील बयान करते हुए शारहे बुखारी, हज़रत अल्लामा मुफ्ती शरीफुल हक़ अमजदी अलैहिर्रहमा लिखते हैं :-
इस पर सारे मुअर्रिखीन का इत्तिफाक़ है कि सरकार गौसे पाक रदिअल्लाहु त्आला अन्हु का विसाल 561 हिजरी में हुआ, इस पर भी क़रीब क़रीब इत्तिफाक़ है कि हज़रते गरीब नवाज़ रदिअल्लाहु त्आला अन्हु ने 15 साल की उम्र से इल्मे ज़ाहिरी के हुसूल के लिये सफर किया।
एक मुद्दत तक आप समरक़न्दो बुखारा में इल्म हासिल करते रहेव।
उलूम -ए- ज़ाहिरी की तक्मील के बाद मुर्शिद की तलाश में निकले फिर 20 साल तक मुर्शिद की खिदमत में हाज़िर रहे।
20 साल के बाद खिलाफत से सरफराज़ फरमाये गये फिर मदीना -ए- मुनव्वरा में हाज़िर हुए और सरकार-ए-आज़म ﷺ ने हिन्दुस्तान की विलायत अता फरमायी।
अब हिसाब लगायें कि 15 साल की उम्र तक हज़रते गरीब नवाज अपने वतन में रहे और 20 साल तक इल्म-ए- ज़ाहिर तलब फरमाते रहे तो ये (20+15) 35 साल हो गये
537 हिजरी में विलादत हुई, 35 साल तक इल्मे ज़ाहिर की तलब में रहे (537+35) यानी 572 हिजरी में आपने ईराक़ का रुख किया जबकि हुज़ूर गौसे आज़म रदिअल्लाहु त्आला अन्हु का विसाल 561 हिजरी में हो चुका था यानी हज़रते गरीब नवाज ने जब ईराक़ का रुख किया उससे 11 साल पहले हुज़ूर गौसे आज़म रदिअल्लाहु त्आला अन्हु का विसाल हो चुका था, फिर मुलाक़ात कैसे हुई?
(ملخصاً و ملتقطاً: فتاوی شارح بخاری، ج2، ص128 تا 131، ط دائرۃ البرکات گھوسی، س1433ھ)
मज़्कूरा तफ्सील से ये बात बिल्कुल वाज़ेह हो जाती है कि सरकार गौसे आज़म और सरकार गरीब नवाज अजमेरी अलैहिमुर्रहमा की मुलाक़ात साबित नहीं।
अ़ब्दे मुस्तफ़ा
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