बीवी हो तो ऐसी

एक ताबई बुज़ुर्ग, हज़रते सईद बिन मुसय्यब रहमतुल्लाही त'आला अलैह ने अपनी साहबजादी का निकाह अपने एक तालिब -ए- इल्म से किया, दूसरे दिन सुबह के वक़्त जब उन के शौहर घर से निकलने लगे तो शहज़ादी साहिबा ने पूछा के मेरे सरताज! कहाँ तशरीफ़ ले जा रहे है?
उन्होंने कहा के इल्मे दीन सीखने के लिए (आपके वालिद) सईद बिन मुसय्यब की मजलिस में जा रहा हु शहज़ादी साहिबा ने कहा के आप बैठ जाए! (मेरे वालिद के पास मत जाये) इल्मे सईद मैं आप को सिखाती हूँ!

(انظر: المدخل لابن الحاج مکی، ج1، ص156 بہ حوالہ ماہنامہ فیضان مدینہ)

अल्लाह त'आला हमे भी ऐसी इल्म वाली बीवी अता फरमाये जो ख़िदमत -ए- दीन में हमारी मदद करे
आमीन। 

अ़ब्दे मुस्तफ़ा

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