मौलाना शहज़ाद क़ादरी तुराबी फरमाते है कि मैं अपने पीरो मुर्शिद, हज़रत अल्लामा सैय्यद तुराबुल हक़ क़ादरी अलैहिर्रहमा की बारगाह में हाज़िर था, एक शख्स आया और कहने लगा कि मुझ पर किसी ने जादू करवा दिया है, आप इलाज कीजिये।
आप अलैहिर्रहमा ने अपनी आदत के मुताबिक़ तावीज़ अता फरमायी और खूब तसल्ली दी मगर वो शख्स मुतमईन नहीं हुआ और बार बार यही कह रहा था कि मुझ पर किसी ने जादू करवा दिया है।
आखिर में शाह साहब अलैहिर्रहमा ने फरमाया कि ऐसा लगता है कि तुम पर जादू किसी मामूली आदमी ने नहीं करवाया बल्कि हज़रते मूसा अलैहिस्सलाम के दौर के सबसे बड़े जादूगर "सामरी" ने तुम पर जादू करवाया है।
ये सुनते ही वो तावीज़ लेकर मुस्कुराता हुआ चला गया और मौजूद हाज़िरीन भी मुस्कुरा दिये।
(ملخصاً: خطبات ترابی، ج5، ص268، زاویہ پبلی شرز لاہور)
हमारी आवाम में एक तबक़ा ऐसा भी है जिन्हें हमेशा लगता है कि हम पर किसी ने जादू करवा दिया है, औरतों में ये बात ज़्यादा पायी जाती है।
उन्होंने पहले से ये बात ज़हन नशीन कर ली होती है कि हम पर जादू किया गया है और जब उन्हें इसके बर खिलाफ़ बताया जाये कि आप पर किसी ने कुछ नहीं करवाया तो उन्हें तसकीन हासिल नहीं होती, गोया वो यही सुनना चाहते हैं कि मुझ पर किसी ने जादू करवा दिया है
अल्लाह त्आला रहम फरमाये।
अ़ब्दे मुस्तफ़ा
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