तूबा

जन्नत मे एक दरख़्त है जिस का नाम तूबा है। 
इस दरख़्त के बारे मे एक रिवायत है के हुज़ूर -ए- अकरम ﷺ ने इरशाद फ़रमाया के दरख़्त -ए- तूबा, अखरोट के दरख़्त के मूशाबे है। 
एक शख़्स ने पूछा के या रसूलुल्लाह ﷺ! उस की जड़ कितनी बड़ी है? 
आप ﷺ ने इरशाद फ़रमाया के अगर तुम ऊँट पर सवार हो तो वो ऊँट चलते चलते बूढ़ा हो जाए और तुम उस की जड़ का इहाता नही कर सकोगे। 

हज़रते अबू इमामा रदीअल्लाहु त'आला अन्हु ने कहा के तूबा जन्नत का एक दरख़्त है जिस की शाखें जन्नत के हर घर मे है और उस दरख़्त पर खूब सूरत फल है और हर हसीन परिंदा उस दरख़्त पर बैठा है।

(عمدۃ القاری، ج5، ص216 بہ حوالہ نعم الباری فی شرح صحیح البخاری)

अ़ब्दे मुस्तफ़ा

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