हज़रते अबू हुरैरा रदिअल्लाहू त्आला अन्हु से रिवायत है कि नबीय्ये करीम ﷺ ने इरशाद फरमाया कि :
बन्दा बाज़ अवक़ात एक ऐसी बात कह देता है जिस का नुक़्सान नहीं समझता, और उसकी वजह से वो दोज़ख में इस क़दर उतर जाता है, जिस क़दर कि मशरिक़ व मगरिब के दरमियान फासला है।
(مسلم، الزھد، ص1219، ر48182-
و بخاری، الرقاق، ص544، ر6477-
و ترمذی، الرقاق، ص1885، ر2314 بہ حوالہ امثال صحیح مسلم، ص102)
बिना सोचे समझे बोलना हमारे लिये हलाकत का सबब बन सकता है।
किसी भी बात को बोलने से पहले गौरो फिक्र करना चाहिये।
कहीं ऐसा ना हो कि कोई एक जुमला हमें दोज़ख में डाल दे!
अल्लाह त्आला हमें फुज़ूल बातों से बचाये।
अ़ब्दे मुस्तफ़ा
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