ये बयान करते हुए भी तकलीफ़ होती है के कुछ लोगो ने नात - ए- रसूल ﷺ जैसी मुक़द्दस शै को भी खेल कूद और नाचने गाने का ज़रिया बना लिया है!
एक ऐसी बला हमारे मुआ'शरे में उतरी है जिस की जितनी मज़म्मत की जाए कम है।
हम बात कर रहे है "रिमिक्स नात" की, इस मे होता ये है के असल नात को कुछ सॉफ्टवेअर्स के ज़रिए रीमिक्स किया जाता है यानी इस मे जदीद मज़ामीर (म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट) की आवाज़ को मिलाया जाता है जिस तरह फिल्मी गानों में मज़ामीर की आवाज़े होती है।
ये आवाज़े (साउंड) कई तरह की होती है जिन्हें निकालने के लिए किसी ढोल को बजाने या बाँसुरी में फूँकने की ज़रूरत नही होती बल्कि ये सॉफ्टवेयर्स के ज़रिए बनाई जाती है।
धमक की आवाज़ जिसे "बीट" कहा जाता है उस के साथ कई तरह की आवाज़े मिला कर नात को ऐसी शक़्ल दी जाती है के सुनने से फिल्मी गाना मालूम होता है।
वो मुक़द्दस अश'आर जिन में अल्लाह के प्यारे रसूल ﷺ की तारीफ -ओ- तौसीफ बयान की जाती है उन को गाने की तरह रीमिक्स बनाना और फिर उसे बुलंद आवाज़ से जुलूस व महाफ़िल में बजाना इश्क़ -ए- रसूल है या तौहीन?
एक आम इंसान भी गौर करे तो उसे मालूम हो जायेगा के ये कितनी घटिया हरकत है,
इस बला में एक अच्छी खासी तादाद मुब्तला है!
पहेले से ही फिल्मी गानों का भूत बचपन से पचपन के सरो पर सवार है, ये क्या कम था जो नात -ए- रसूल ﷺ की इज़्ज़त को पामाल करने पर उतर आए!
हम आप से गुजारिश करते है के लिल्लाह इस से तौबा करे और रीमिक्स नात का बॉयकॉट करे।
अब्दे मुस्तफ़ा
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