उलमा का इह़तिराम अल्लाह और रसूल का इह़तिराम है

फक़ीह -ए- मिल्लत, हज़रत अल्लामा मुफ्ती जलालुद्दीन अहमद अमजदी रहीमहुल्लाह लिखते है कि हज़रत जाबिर रदिअल्लाहु त्आला अन्हो से रिवायत है :-

اکرموا العلماء فانھم ورثۃ الانبیاء فمن اکرمھم فقد اکرم اللہ و رسولہ
(کنز العمال، ج10، ص78)

तर्जुमा : आलिमों की इज़्ज़त करो इसलिये कि वो अम्बिया के वारिस हैं, जिसने इनकी इज़्ज़त की तहक़ीक़ उसने अल्लाह और रसूल अज़्ज़वजल्ला व ﷺ की इज़्ज़त की

(انظر: فضائل علم و علما، ص65)

इस रिवायत में उलमा के इह़तिराम को अल्लाह और रसूल का इह़तिराम क़रार दिया गया है! अब जो लोग उलमा की तौहीन करते है वो ज़रा गौर करें कि क्या करते हैं

अ़ब्दे मुस्तफ़ा

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