एक शख्स ने इमाम शयबी रदिअल्लाहु त्आला अन्हु से पूछ लिया कि इब्लीस की बीवी का क्या नाम था?
अब बताईये कि इसका जवाब जानकर उस शख्स को क्या फायदा होता? क्या ये अक़ाइद का हिस्सा है या कोई ज़रूरी मस'अला है?
इमाम शयबी रदिअल्लाहु त्आला ने भी सवाल के जैसा ही जवाब अता फरमाया। आपने फरमाया कि इब्लीस के निकाह में मै शरीक नही हो पाया था, इसलिये (उसकी बीवी के) नाम से वाक़िफ़ नहीं।
(المراح فی المزاح، ابو البرکات بدر الدین محمد شافعی، ص69، ملخصاً)
हमें चाहिये कि जब उल्मा से सवाल करने का मौका मयस्सर आये तो फालतू सवाल करके वक़्त को बरबाद ना किया जाये बल्कि ज़रूरी सवाल किया जाये जिसका जवाब मुफीद साबित हो
अ़ब्दे मुस्तफ़ा
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