एक मर्तबा हज़रते सैय्य्दुना इब्ने उमर रदिअल्लाहु त्आला अन्हुमा मस्जिद में तशरीफ़ लाये तो देखा कि वहां एक क़िस्सा गो बैठकर किस्सा सुना रहा है।
आपने एक सिपाही को उसकी तरफ मुतवज्जेह किया कि वो इसे मस्जिद से बाहर निकाल दे, चुनान्चे उस सिपाही ने इसे मस्जिद से बाहर निकाल दिया।
अगर क़िस्सा गोयी का ताल्लुक़ ज़िक्र की मजलिस से होता और क़िस्सा गो को उलमा में शुमार किया जाता तो हज़रते सैय्य्दुना इब्ने उमर कभी भी उसे मस्जिद से बाहर ना निकालते।
(ملخصاً: المدخل لابن الحاج، ج1، ص333 بہ حوالہ قوت القلوب، ج1، ص708، ط مکتبة المدینہ کراچی)
हज़रते सैय्य्दुना मौला अली रदिअल्लाहु त्आला अन्हु के बारे में भी मन्क़ूल है कि जब आप बसरा तशरीफ़ ले गये तो क़िस्सा गो मुक़र्रिरीन को मस्जिद से बाहर निकाला।
(ایضاً)
शाह वलीउल्लाह मुहद्दिसे द्हेल्वी रहीमहुल्लाह लिखते है कि सहाबा -ए- किराम ने क़िस्सा ख्वानों को मस्जिद से निकाला है और मारा भी है।
(القول الجمیل؛بہ حوالہ فتاوی اجملیہ، ج4، ص101)
अ़ब्दे मुस्तफ़ा
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