मानें या ना मानें लेकिन औरतों की बातें बहुत खतरनाक होती हैं!
जो लोग हमेशा औरतों की कही पर चलते हैं वो तबाही की दहलीज़ पर क़दम रखते हैं।
इस का मतलब ये नहीं है कि हर औरत की हर बात गलत होती है लेकिन अक्सर बातें ऐसी होती हैं जिन पर अमल करने से दो लोगों, घरों बल्कि मुल्कों में भी जंग छिड़ सकती है।
हज़रते उमर फारुक़ रदिअल्लाहु त'आला अन्हु फरमाते हैं कि औरतों की राय की मुख्तलिफ़ करो। (यानी वो जो कहें उस का उलट करो) क्योंकि उन की मुखालिफ़त में बरकत है।
(کنز العمال، ج3، ص350، ر8769)
इस से ये साबित करना मक़सूद नहीं है कि तमाम औरतों की तमाम बातें नाक़ाबिल -ए- क़बूल हैं बल्कि ये बताना मक़सूद है कि अक्सर बातें दुरुस्त नहीं होती।
इस की ताईद एक दूसरी रिवायत से भी होती है कि हज़रते उमर फारुक़ रदिअल्लाहु त'आला अन्हु अहम मामलात में अपनी औरत से भी मशवरा लिया करते थे, बसा अवक़ात आप उन की बात में कोई अच्छाई देखते जो आप को अच्छी लगती तो उस पर अमल करते।
(ایضاً)
औरतों की बातें सुनें लेकिन सोच समझ कर अमल करें, कई लोगों ने अपनी बीवी की अंधा धुंध पैरवी में अपने माँ बाप तक को छोड़ दिया और कईयों की तो ये हालत हो जाती है कि आखिर में खुद खुशी कर बैठते हैं।
अगर बीवी कोई अच्छी बात कहती है तो क़बूल करें वरना मुखालिफ़त से बिल्कुल ना डरें। औरतों को भी चाहिये कि सोच समझ कर और आगे पीछे का सोच कर मशवरा दें।
अब्दे मुस्तफ़ा
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