हज़रते जाबिर बिन अब्दुल्लाह बयान करते हैं कि नबीय्ये करीम ﷺ ने इरशाद फरमाया कि उस मुसलमान को जहन्नम की आग नहीं छूएगी जिसने मुझे देखा या मुझे देखने वाले (यानी मेरे सहाबा) को देखा।
(جامع ترمذی، باب ماجاء فی فضل رائ النبی ﷺ و صحبه، اردو، ج3، ص873، ر3793)
हुज़ूर ए अकरम ﷺ के तमाम सहाबा जन्नती हैं, अब चाहे वो हज़रते मौला अली हो, या हज़रते अमीर -ए- मुआविया रदीअल्लाहु त'आला अन्हुमा.......,
जो जाहिल मुजावर हज़रते अमीर -ए- मुआविया को म'आज़ अल्लाह जहन्नमी कहते हैं वो दर अस्ल अपने लिये दोज़ख में घर बना रहे हैं।
अ़ब्दे मुस्तफ़ा
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